93rd day of Battle and 1st day in Nawada
जंग शुरू किए 93 दिन गुजर चुके हैं और नवादा में पहले दिन का अनुभव।
पटना से लगभग 105 किलोमीटर की दूरी पर बसा कम आबादी का एक शहर, नवादा जहाँ आप रफ़्तार से गाड़ी ड्राइव करें तो मिनटों में इस पार से उस पार हो जाएं। पर इस कम आबादी वाले शहर की धरती में इतना प्यार बसता है जिसे मेरी कलम ताउम्र बयाँ न कर पाए।
विगत तीन महीनों से जारी नियति की इस जंग को आगे बढ़ाते हुए 9 मई 2022 को नवादा की धरती पर कदम रखा था। बेहद गर्म धूप की चादर और गाड़ियों के शोर के बीच बस स्टैंड के पास होटल ढूँढने के लिए मेरी नज़रें यहाँ वहाँ रेंग रही थी तभी थिएटर जगत के प्रतिभावान रंगकर्मी sagar india से बात हुई और बस स्टैंड के पास वो हमें लेने आए। आते ही गले मिले और बेहद शालीनता से बोले ” नवादा में आपका स्वागत है, आपदोनों मेरे यहाँ रुकेंगे और होटल लेने की कोई आवश्यकता नहीं है।”
सुनते ही मेरी रगों में हर पल नृत्य करते शायर ने खामोशी से कहा…
अपनों की तरह, दूर करेंगे अंधियार तेरे।
गिन न पाए तू, सफ़र में इतने परिवार तेरे।।
बस स्टैंड के पास से सागर जी हमलोग को अपने गांव घुमाने ले गए। नाश्ता पानी के साथ साथ कुछ पल गुफ्तगू और फिर उनके खूबसूरत गाँव का सैर किया हमने। गाँव के प्रसिद्ध मंदिर में जाकर हमने दर्शन किया और अपनी पुस्तक वीरा की शपथ की सफलता के लिए दुआ माँगी। सब सरलतापूर्वक चल रहा था तभी हमें अचंभित करते हुए सागर जी ने चुनरी ओढ़ाकर हमारा स्वागत किया। सागर जी और सावन जी द्वारा हमें चुनरी ओढ़ाया जाना एक खूबसूरत लम्हें की तरह हमारे दिल में सदा के लिए बस गया। उसी वक़्त सागर जी से बातें करना चाहता था, बहुत कुछ कहकर शुक्रिया अदा करना चाहता था पर शुक्रिया अदा करने के लिए इतनी सारी चीजें थी की बोलूं तो वक़्त कम पड़ जाए और लिखूँ तो स्याही कम पड़ जाए।
गाँव सैर करने के बाद हम अपनी पुस्तक के प्रोमोशन के लिए सागर जी के साथ ही जगह तलाश करने लगे। बाजार में ही विजय सिनेमा के पास हमें जगह दिखी। सागर जी ने टेबल का इंतज़ाम किया और हमें विजय सिनेमा के मोड़ पर जगह दिलाई और हमारे साथ खड़े रहे। बात बात में ही पता चला कि आज उन्हें कई शादी समारोह में जाना था पर उन्होंने अपना कीमती वक़्त मुझे दिया… ये सब देख सुनकर मुझे अपनी पुस्तक का एक दोहा याद आ गया…
सच झूठ के, अफसाने नहीं सुनाते।
अपने वही, जो बहाने नहीं बनाते।।
वो हमें छोड़कर शादी में जा भी सकते थे पर उन्होंने जाने क्यूँ हमारे साथ खड़े रहने का चुनाव किया। बीच बीच में तमाम जानने वालों को कॉल कर करके बताते रहे कि नवादा में नया लेखक आये हैं, आप आकर मिल सकते हैं। विजय सिनेमा के मोड़ पर रात तक जंग जारी रहा। नवादा के लोगों ने बढ़ चढ़कर हमें सपोर्ट किया। सागर जी भी देर रात तक हमारे साथ ही बने रहे। लगभग 10 बजे काम खत्म हुआ और रात गुजारने के लिए हम सागर जी के घर गए। 1 बजे रात तक बात हुई। सागर जी खुद भी एक शायर और लेखक हैं… देर रात तक छत पर रात की चाँदनी में हंसी मजाक और शायरी कविताओं का दौर चला। सुबह जल्दी उठना था तो हम फिर सोने चले गए। बिस्तर पर लेटे लेटे ही मैंने दीपिका से पूछा… ” सागर जी से आजतक 2-3 बार ही बात हुई थी और बुक प्रोमोशन के दौरान छोटी सी मुलाक़ात और आज इस तरह से वो हमारे एक एक चीज़ का ख्याल रख रहे थे… जैसे बरसों पुराना कोई बंधन। मुझे एक बात बता? लहू के रिश्ते अच्छे या प्यार के??
सवाल पूछते ही दीपका ने मेरी आँखों में देखा और बिना कुछ कहे वो मुस्कुराई। वो समझ गयी की मैं क्या कहना चाहता हूँ।
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Book : Veera Ki Shapat | Author : Arun Kumar
Read First Article by ARUN KUMAR : https://www.journalogi.com/2022/03/29/veera-ki-sapath-book-author-arun-kumar/